The twenty-fourth part of the Quran इस पारे में तीन हिस्से हैं 1- सूरह ज़ुमर का बचा हुआ हिस्सा 2- सूरह मोमिन (मुकम्मल) 3- सूरह हा मीम सजदा का शुरुआती हिस्सा The twenty-fourth part of the Quran इस पारे में तीन हिस्से हैं 1- सूरह ज़ुमर का बचा हुआ हिस्सा 2- सूरह मोमिन (मुकम्मल) 3- सूरह हा मीम सजदा का शुरुआती हिस्सा
RUHANIYAT
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REPORTING BY
MD ALFAIZ
1- सूरह ज़ुमर के बचे हुए हिस्से में कई बातें हैं :
The twenty-fourth part of the Quran [1] अल्लाह की रबुबियत का बयान :
आसमानों ज़मीन तमाम का खालिक सिर्फ अल्लाह ही है उसके काएल तमाम इंसान हैं
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The twenty-fourth part of the Quran [2] अल्लाह की रहमत की वुसअत का बयान :
इंसान को कभी भी अल्लाह की रहमत से मायूस नहीं होना चाहिए
[3] जहन्नमियों और जन्नतियों के जहन्नम और जन्नत में दाखिल होने की कैफियत का बयान :
2- सूरह मोमिन में कई बातों का बयान हैं :
The twenty-fourth part of the Quran [1] मोमिन का बयान :
जब मूसा अलैहिस्सलाम के कत्ल की साज़िश फिरौन के दरबार में हो रही थी तो एक मोमिन जो अपने ईमान को छिपाए हुए था उसने कहा
اتقتلون رجلا ان یقول ربی الله
उस फिरौन और उसके दरबारियों को मूसा अलैहिस्सलाम के कत्ल से डराया और कहा कि इसका अंजाम बहुत बुरा होगा
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[1] फिरौन के किब्रो ग़ुरूर का बयान है :
कि उसने रब्बुल इज़्ज़त को देखने की नापाक जसारत करते हुए हामान को एक महल की तामीर का हुक्म दिया
[3] अल्लाह से एअराज़ करने वालों की सजा का बयान है :
سیدخلون جهنم داخرین
[4] इंसान की तख़लीक का बयान : इंसान कभी मिट्टी था फिर नुत्फा बना, फिर अल्का बना, फिर बच्चा बना, फिर जवान हुआ, फिर बूढा हुआ, फिर मरा
2- सूरह हा मीम सज्दा मे कई बातें हैं :
आसमानों ज़मीन की तख़लीक :
अल्लाह ने ज़मीन और उसके अंदर की सारी चीजें 4 दिन में बनाया और आसमान को 2 दिन में बनाया,
[2] काफिरों की शरारत का ज़िक्र :
कि जब नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम क़ुरआन मजीद की तिलावत करते तो यह लोग शोर मचाते ताकि लोग तिलावते क़ुरआन मजीद को न सुन सकें
[3] दाअई का बयान :
कि उससे बेहतर बात किसी की नहीं हो सकती और दाअई को कौन उसलूब इस्तेमाल करना चाहिए उसका बयान