The Twenty-First Part Of The Quran : इस पारे में चार हिस्से हैं : 1- सूरह अहज़ाब का बचा हुआ हिस्सा 2- सूरह सबा (मुकम्मल) 3- सूरह फ़ातिर (मुकम्मल) 4- सूरह यासीन का शुरुआती हिस्सा The Twenty-First Part Of The Quran : इस पारे में चार हिस्से हैं : 1- सूरह अहज़ाब का बचा हुआ हिस्सा 2- सूरह सबा (मुकम्मल) 3- सूरह फ़ातिर (मुकम्मल) 4- सूरह यासीन का शुरुआती हिस्सा
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The Twenty-First Part Of The Quran 1- सूरह अहज़ाब के बचे हुए हिस्से में चार बातें हैं :
The Twenty-First Part Of The Quran [1] अज़वाजे मोतह्हरात के लिए सात अहकाम :
(1) नज़ाकत के साथ बात न करें
(2) बिना ज़रूरत घर से न निकलें
(3) ज़माने जाहिलियत की ख्वातीन की तरह अपनी ज़ीनत और सत्र का इज़हार करते हुए बाहर न निकलें
(4) नमाज़ की पाबंदी करें
(5) ज़कात दिया करें
(6) अल्लाह और उसके रसूल की इताअत करें
(7) कुरआनी आयात की तिलावत और अहादीस का मज़ाकरह किया करें
The Twenty-First Part Of The Quran [2] मुसलमानों की 10 सिफ़ात
[3] निकाह ए रसूल : जब हज़रत ज़ैद बिन हारिसा र अ और आपकी फूफी ज़ाद बहन हज़रत ज़ैनब रज़िअल्लाह अन्हा के दरमियान निबाह न हो सका और उनके दरमियान जुदाई वाकेअ हो गई तो अल्लाह के हुक्म से खुद आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने हज़रत ज़ैनब से निकाह कर लिया
[4] नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम पर दरूदो सलाम का हुक्म
The Twenty-First Part Of The Quran 2- सूरह सबा में दो बातें यह हैं :
[1] हज़रत दाऊद और हज़रत सुलैमान अलैहिमुस्सलाम का किस्सा
[2] अहले सबा के गुरुर व तकब्बुर का वाकेया
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The Twenty-First Part Of The Quran 3- सूरह फ़ातिर में दो बातें यह हैं :
[1] तौहीद के दलाएल
[2] मुसलमानों के तीन गिरोह : ( 1 वह मुसलमान जिनके गुनाह ज़्यादा होंगे, 2 नेकियां और गुनाह बराबर, 3 नेकियां ज़्यादा हों )
The Twenty-First Part Of The Quran 4- सूरह यासीन के शुरुआती हिस्से में दो बातें यह हैं :
[1] रेसालत
[2] कुरैश की मज़म्मत
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