
The Tenth Part Of The Quran (पहले हिस्से) सूरह अन्फ़ाल के बचे हुए हिस्से में पांच बातें हैँ : 1- माले गनीमत का हुक्म 2- गज़वए बद्र के हालात 3- अल्लाह तआला की नुसरत (मदद) के चार असबाब 4- जंग से मुताल्लिक हिदायात 5- हिजरत और नुसरत के फज़ाएल The Tenth Part Of The Quran (पहले हिस्से) सूरह अन्फ़ाल के बचे हुए हिस्से में पांच बातें हैँ : 1- माले गनीमत का हुक्म 2- गज़वए बद्र के हालात 3- अल्लाह तआला की नुसरत (मदद) के चार असबाब 4- जंग से मुताल्लिक हिदायात 5- हिजरत और नुसरत के फज़ाएल
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MD ALFAIZ
The Tenth Part Of The Quran1- माले गनीमत का हुक्म
माले गनीमत का यह हुक्म बयान हुआ है कि खम्स (पांच) नबी स अ आप के अकरबा, यतीमो, मिसकीनो और मुसाफिरों के लिए है और बाकि चार हिस्से मुजाहिदीन के लिए है

The Tenth Part Of The Quran 2- गज़वए बद्र के हालात
~ कुफ्फार मुस्लमानो को और मुस्लमान कुफ्फार को तादाद में कम समझे और ऐसा इसलिए हुआ कि इस जंग का होना अल्लाह के हाँ तय हो चूका था
~ शैतान मुशरेकीन के आगे उनके आमाल को मोज़इय्यन (सजा सवांर कर) करके पेश करता रहा दूसरी तरफ मुसलमानो की मदद के लिए आसमान से फ़रिश्ते नाज़िल हुए
~ कुरैश गज़वए बद्र में ज़लीलो ख्वार हुए
3- अल्लाह तआला की नुसरत (मदद) के चार असबाब
01.~ मैदाने जंग में साबित कदमी
02.~ कसरत से अल्लाह तआला का ज़िक्र
03.~ इख़्तेलॉफ और लड़ाई से बच कर रहना
04.~ मुक़ाबले में ना मुआफ़िक उमूर पर सब्र

4- जंग से मुताल्लिक हिदायात
~ दुश्मनों से मुक़ाबले के लिए माद्दी (जिस्मानी), अस्करी (फ़ौजी) और रूहानी तीनों एतेबार से तैय्यारी मुकम्मल रखें
~ अगर काफिर सुलह की तरफ माएल हों तो सुलह कर लो

5- हिजरत और नुसरत के फज़ाएल
01.~ मुहाजिरो अंसार सच्चे मोमिन हैँ
02.~ गुनाहों की मगफिरत
03.~ रिज़्क़ क़रीम का वादा
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2- सूरह तौबा की शुरुआत जो इस पारे में है उसमे दो बातें हैँ
<1> मुशरेकीन और अहले किताब के साथ जेहाद
मुशरेकीन से जो मुआहेदे हुए थे उनसे बरात (आज़ादी) का ऐलान, मुशरेकीन को हज ए बैतुल्लाह से मना कर दिया गया, अहले किताब के साथ केताल (लड़ाई) की इजाज़त दी गई

<2> मुसलमानो और मुनाफिको के दरमियान इम्तेयाज़ (फर्क, अंतर, तमीज़, भेद)
मुसलमानो और मुनाफिको में फर्क करने वाली बुनियादी चीज़ गज़वए तबूक बनी, रोमियों के साथ मुक़ाबला, जो वक़्त के सुपर पावर थे और शदीद गर्मी और फ़क़्रो फाका के मौके पर फल पके हुए थे, मुस्लमान सिवाय चंद के सब चले गए, जबकि मुनाफिको ने बहाने तराशने शुरु कर दिए, पारे के आखिर तक मुनाफिको की मज़म्मत है, यहाँ तक फरमा दिया कि अय पैग़म्बर ! आप उनके लिए सत्तर बार भी अस्तग़्फार करें तो भी अल्लाह तआला उनकी मगफिरत नहीं करेगा, और अगर उनमे किसी का इंतेक़ाल हो जाये तो आप उसकी नमाज़े जनाज़ा भी न पढिएगा, फिर उन मुसलमानो का भी ज़िक्र है जो किसी उज़्र की वजह से इस गज़वे में न जा सके