The Eighth Part Of The Quran (पहला हिस्सा) सूरह अनआम के बचे हुए हिस्से में चार बातें हैँ 1- रसूलुल्लाह स अ को तसल्ली 2- मुशरेकीन की चार हिमाकतें 3- अल्लाह तआला की दो नेमतें 4- दस वसीयतें The Eighth Part Of The Quran (पहला हिस्सा) सूरह अनआम के बचे हुए हिस्से में चार बातें हैँ 1- रसूलुल्लाह स अ को तसल्ली 2- मुशरेकीन की चार हिमाकतें 3- अल्लाह तआला की दो नेमतें 4- दस वसीयतें
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MD ALFAIZ
The Eighth Part Of The Quran 1- रसूलुल्लाह स अ को तसल्ली
इस सूरत में रसूलुल्लाह स अ को तसल्ली है कि यह लोग ज़िद्दी हैँ, मोजज़ात का बेजा मुतालबा करते रहते हैँ, अगर मुर्दे भी उनसे बातें करें तो यह फिर भी ईमान न लाएंगे, क़ुरआन का मोजज़ा ईमान ले आने के लिए काफ़ी है
The Eighth Part Of The Quran 2- मुशरेकीन की चार हिमाकतें
01. यह लोग चौपायों में अल्लाह तआला का हिस्सा और शोरकाअ (जिन्हें अल्लाह का शरीक ठहराते थे) का हिस्सा अलग अलग कर देते हैँ, शोरकाअ के हिस्से को अल्लाह तआला के हिस्से में खलत न होने देते लेकिन अगर अल्लाह तआला का हिस्सा शोरकाअ के हिस्से में मिल जाता तो उसे बुरा न समझते (आयत-135)
02. फ़क्र (गरीबी) या आर (शर्म की बात) के खौफ से बेटियों को क़त्ल कर देते (आयत-136)
03. चौपायों की तीन किस्मे कर रख्खी थी : एक जो उनके पेशवाओं के लिए मखसूस, दूसरे वह, जिनपर सवार होना ममनूह (मना), तीसरे वह जिन्हें गैरुल्लाह के नाम पर ज़बह करते थे (आयत-138)
04. चौपाए के बच्चे को औरतों पर हराम समझते और अगर वह बच्चा मुर्दा होता तो औरत और मर्द दोनों के लिए हलाल समझते (आयत-139)
The Eighth Part Of The Quran 3- अल्लाह तआला की दो नेमतें
02. खेतियाँ,
03. चौपाए
The Eighth Part Of The Quran 4- दस वसीयतें
01. अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक न किया जाये (आयत-151)
02. माँ बाप के साथ अच्छा सुलूक किया जाये (आयत-151)
03. औलाद को मुफलिसी (गरीबी) के डर से कत्ल न किया जाये (आयत-151)
04. बुराइयों से बचा जाये (आयत-151)
05. नाहक़ क़त्ल न किया जाये (आयत-151)
06. यतीमो का माल न खाया जाये (आयत-152)
07. नाप तौल पूरा किया जाये (आयत-152)
08. बात करते वक़्त इंसाफ को मद्धेनज़र रख्खा जाये (आयत-152)
09. अल्लाह तआला के अहद को पूरा किया जाये (आयत-152)
10. सेराते मुस्तकीम ही की इत्तेबा (पर चला जाये) की जाये (आयत-153)
(दूसरा हिस्सा) सूरह आराफ का शुरुवाती हिस्सा जो इस पारे में है उसमे पांच बातें हैँ
1- अल्लाह तआला की नेमतें
2- चार नेदाएं (पुकारना)
3- जन्नती और जहन्नमीयों का मुकालमह (बातचीत)
4- अल्लाह तआला की कुदरत के दलाएल
5- पांच कौमो के किस्से
The Eighth Part Of The Quran 1- अल्लाह तआला की नेमतें
01. क़ुरआन करीम
02. तमकीन फ़िल अर्ज़ (ज़मीन की पायदारी, मज़बूती, स्थिरता)
03. इंसानों की तख़लीक
04. इंसानों को मसजूदे मलाइका (जिसे फरिश्तों ने सज्दा किया) बनाया
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The Eighth Part Of The Quran 2- चार नेदाएं
सिर्फ इस सूरत में अल्लाह तआला ने इंसानों को चार मर्तबा या बनी आदम कह कर पुकारा है, पहली तीन नेदाओं में लिबास का ज़िक्र है, उसके ज़मन में अल्लाह तआला ने मुशरेकीन पर रद कर दिया कि तुम्हे नंगे होकर तवाफ करने को अल्लाह तआला ने नहीं कहा जैसा कि उनका दावा था, चौथी नेदा में अल्लाह तआला ने इत्तेबाए रसूल की तरग़ीब दी
The Eighth Part Of The Quran 3- जन्नती और जहन्नमीयों का मुकालमह
जन्नती कहेँगे “क्या तुम्हे अल्लाह तआला के वादों का यक़ीन आ गया? जहन्नुमी इक़रार करेंगे, जहन्नमी खाना पीना मागेंगे, मगर जन्नती उनसे कहेँगे “अल्लाह तआला ने काफिरों पर अपनी नेमतें हराम कर दी हैँ “
4- अल्लाह तआला की कुदरत के दलाएल
01. बुलंदो बाला आसमान
02. वसीओ अरीज़ अर्श
03. रात और दिन का नेज़ाम
04. चमकते सूरज, चाँद और सितारे
05. हवाएं और बादल
06. ज़मीन से निकलने वाली नबातात (ज़मीन से उगने वाली चीज़े)
5- पांच कौमो के किस्से
01. क़ौमे नूह (नूह अलैहिस्सलाम की क़ौम)
02. क़ौमे आद (हूद अलैहिस्सलाम की क़ौम)
03. क़ौमे समूद (स्वालेह अलैहिस्सलाम की क़ौम)
04. क़ौमे लूत (लूत अलैहिस्सलाम की क़ौम)
05. क़ौमे मदियन (सोऐब अलैहिस्सलाम की क़ौम)
इन किस्सों की हिकमतें
01. तसल्लीए रसूल
02. अच्छो और बुरों का अंजाम बताना
03. अल्लाह तआला के यहाँ देर हैँ अंधेर नहीं
04. रेसालत की दलील, वो ये कि उम्मी (न पढ़ा हुआ) होने के बावजूद पिछली क़ौमो के किस्से बता रहे हैँ
05. इंसानों के लिए इबरत और नसीहत