Prophet Muhammad ह़ज़रत मोहम्मद की तारीफ़ और हमेशा करते चले जाओ। आप अल्लाह तआला के ख़ास बंदे और तमाम नबीयों और रसूलों के सरदार हैं।–(जन्म साखी विलायत वाली, पेज नम्बर 246, जन्म साखी श्री गुरु नानक देव जी, प्रकाशन गुरु नानक यूनीवर्सिटी, अमृतसर, पेज नम्बर 61)
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MD ALFAIZ
Prophet Muhammad सलाह़त मोहम्मदी मुख ही आखू नत! ख़ासा बंदा सजया सर मित्रां हूं मत!
अर्थात- ह़ज़रत मोहम्मद की तारीफ़ और हमेशा करते चले जाओ। आप अल्लाह तआला के ख़ास बंदे और तमाम नबीयों और रसूलों के सरदार हैं।–(जन्म साखी विलायत वाली, पेज नम्बर 246, जन्म साखी श्री गुरु नानक देव जी, प्रकाशन गुरु नानक यूनीवर्सिटी, अमृतसर, पेज नम्बर 61)
Prophet Muhammad सेई छूटे नानका हज़रत जहां पनाह!
यानीः-निजात उन लोगों के लिए ही मुक़र्रर है, जो हज़रत मोहम्मद की पनाह में आऐंगे और उनकी ग़ुलामी में ज़िन्दगी बसर करेंगे।–(जन्म साखी विलायत वाली, प्रकाषन 1884 ईस्वी, पेज 250)
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Prophet Muhammad अठे पहर भोंदा, फिरे खावन, संदड़े सूल! दोज़ख़ पौंदा, क्यों रहे, जां चित न हूए रसूल!
दिलों में हज़रत मोहम्मद की अ़क़ीदत और मोहब्बत ना होगी, वह इस दुनिया मे आठों पहर भटकते फिरेंगे और मरने के बाद उन को दोज़ख़ मिलेगी।
(गुरु ग्रन्थ साहब, पेज नम्बर 320)
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Prophet Muhammad मोहम्मद मन तूं, मन किताबां चार! मन ख़ुदा-ए-रसूल नूं, सच्चा ई दरबार!
अर्थात:-हज़रत मोहम्मद (सल्ललाहो अलैहि वसल्लम) पर ईमान लाओ और चारों आसमानी किताबों को मानो। अल्लाह और उस के रसूल पर ईमान लाकर ही इन्सान अपने अल्लाह के दरबार में कामयाब होगा।–(जन्म साखी भाई बाला, पेज नम्बर 141)
Prophet Muhammad ले पैग़म्बरी आया, इस दुनिया माहे! नाऊं मोहम्मद मुस्तफ़ा, हो आबे परवा हे!
यानीः-जिन का नाम मोहम्मद है, वह इस दुनिया में पैग़म्बर बन कर तशरीफ़ लाए हैं और उन्हें किसी भी शैतानी ताक़त का ड़र या ख़ौफ़ नहीं है। वह बिल्कुल बे परवा हैं।–(जन्म साखी विलायत वाली (पेज नम्बर 168)
Prophet Muhammad अव्वल नाऊं ख़ुदाए दा दर दरवान रसूल! शैख़ानियत रास करतां, दरगाह पुवीं कुबूल!
यानीः किसी भी इन्सान को हज़रत मोहम्मद (सल्ललाहो अलैहि वसल्लम) की इजाज़त हासिल किए बग़ैर अल्लाह तआला के दरबार में रसाई हासिल नहीं हो सकती।- (जन्म साखी विलायत वाली, पेज नम्बर 168)
Prophet Muhammad हुज्जत राह शैतान दा, कीता जिनहां कुबूल! सो दरगाह ढोई, ना लहन भरे, ना शफ़ाअ़त रसूल!
अर्थात:- जिन लोगों ने शैतानी रास्ता अपना रखा है और हुज्जत बाज़ी से काम लेते हैं। उन्हें अल्लाह के दरबार में रसाई हासिल ना हो सकेगी। ऐसे लोग हज़रत मोहम्मद (सल्ललाहो अलैहि वसल्लम) की शफ़ाअ़त से भी महरुम रहेंगे। शफ़ाअ़त उन लोगों के लिए है, जो शैतानी रास्ते छोड़कर नेक नियत से ज़िन्दगी बसर करेंगे। (जन्म साखी भाई वाला, पेज नम्बर 195)