Holy Quran : कुरआन को अरबी ज़बान में क्यों नाजिल किया गया ?

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Holy Quran

RUHANIYAT

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MD ALFAIZ

وَ مِنۡ اٰیٰتِہٖ خَلۡقُ السَّمٰوٰتِ وَ الۡاَرۡضِ وَ اخۡتِلَافُ اَلۡسِنَتِکُمۡ وَ اَلۡوَانِکُمۡ ؕ اِنَّ فِیۡ ذٰلِکَ لَاٰیٰتٍ لِّلۡعٰلِمِیۡنَ ﴿۲۲﴾

Holy Quran : और उसकी निशानियों में से ये है आसमानों और ज़मीन की पैदाइश, और तुम्हारी ज़बानों और तुम्हारे रंगों का इख़्तिलाफ़ है। यक़ीनन इसमें बहुत-सी निशानियाँ हैं दानिशमन्द लोगों के लिये।

(कुरआन 30:22)

Holy Quran

وَ لَوۡ جَعَلۡنٰہُ قُرۡاٰنًا اَعۡجَمِیًّا لَّقَالُوۡا لَوۡ لَا فُصِّلَتۡ اٰیٰتُہٗ ؕ ءَؔاَعۡجَمِیٌّ وَّ عَرَبِیٌّ ؕ قُلۡ ہُوَ لِلَّذِیۡنَ اٰمَنُوۡا ہُدًی وَّ شِفَآءٌ ؕ وَ الَّذِیۡنَ لَا یُؤۡمِنُوۡنَ فِیۡۤ اٰذَانِہِمۡ وَقۡرٌ وَّ ہُوَ عَلَیۡہِمۡ عَمًی ؕ اُولٰٓئِکَ یُنَادَوۡنَ مِنۡ مَّکَانٍ ۢ بَعِیۡدٍ ﴿٪۴۴﴾

Holy Quran अगर हम इसको अजमी (ग़ैर-अरबी) क़ुरआन बनाकर भेजते तो ये लोग कहते, “क्यों न इसकी आयतें खोलकर बयान की गईं? क्या अजीब बात है कि कलाम अजमी और सुनने वाले अरबी

(कुरआन 41-44)

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Holy Quran

اِنَّا جَعَلۡنٰہُ قُرۡءٰنًا عَرَبِیًّا لَّعَلَّکُمۡ تَعۡقِلُوۡنَ ۚ﴿۳﴾

Holy Quran कि हमने इसे अरबी ज़बान का क़ुरआन बनाया है, ताकि तुम लोग इसे समझो

(कुरआन 43:3)

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Holy Quran

اَمۡ یَقُوۡلُوۡنَ افۡتَرٰىہُ ۚ بَلۡ ہُوَ الۡحَقُّ مِنۡ رَّبِّکَ لِتُنۡذِرَ قَوۡمًا مَّاۤ اَتٰہُمۡ مِّنۡ نَّذِیۡرٍ مِّنۡ قَبۡلِکَ لَعَلَّہُمۡ یَہۡتَدُوۡنَ ﴿۳﴾

Holy Quran क्या ये लोग कहते हैं कि इस शख़्स ने इसे ख़ुद गढ़ लिया है ? नहीं, बल्कि ये हक़ है तेरे रब की तरफ़ से ताकि तू ख़बरदार करे एक ऐसी क़ौम को जिसके पास तुझसे पहले कोई ख़बरदार करनेवाला नहीं आया, शायद कि वो सीधा रास्ता पा जाएँ।

(कुरआन 32:3)

وَ لَقَدۡ ضَرَبۡنَا لِلنَّاسِ فِیۡ ہٰذَا الۡقُرۡاٰنِ مِنۡ کُلِّ مَثَلٍ لَّعَلَّہُمۡ یَتَذَکَّرُوۡنَ ﴿ۚ۲۷﴾ قُرۡاٰنًا عَرَبِیًّا غَیۡرَ ذِیۡ عِوَجٍ لَّعَلَّہُمۡ یَتَّقُوۡنَ ﴿۲۸﴾

Holy Quran हमने इस क़ुरआन में लोगों को तरह-तरह की मिसालें दी हैं कि ये होश में आएँ। ऐसा क़ुरआन जो अरबी ज़बान में है, जिसमें कोई टेढ़ नहीं है, ताकि ये बुरे अंजाम से बचें।

(कुरआन 39:27-28)

وَ کَذٰلِکَ اَنۡزَلۡنٰہُ قُرۡاٰنًا عَرَبِیًّا وَّ صَرَّفۡنَا فِیۡہِ مِنَ الۡوَعِیۡدِ لَعَلَّہُمۡ یَتَّقُوۡنَ اَوۡ یُحۡدِثُ لَہُمۡ ذِکۡرًا ﴿۱۱۳﴾

Holy Quran और ऐ नबी, इसी तरह हमने इसे अरबी क़ुरआन बनाकर उतारा है और इसमें तरह-तरह से तंबीहें (चेतावनियाँ) की हैं, शायद कि ये लोग टेढ़े रास्ते पर चलने से बचें या इनमें कुछ होश के आसार इसकी वजह से पैदा हों।

(कुरआन 20:113)

وَ لَقَدۡ ضَرَبۡنَا لِلنَّاسِ فِیۡ ہٰذَا الۡقُرۡاٰنِ مِنۡ کُلِّ مَثَلٍ لَّعَلَّہُمۡ یَتَذَکَّرُوۡنَ ﴿ۚ۲۷﴾ قُرۡاٰنًا عَرَبِیًّا غَیۡرَ ذِیۡ عِوَجٍ لَّعَلَّہُمۡ یَتَّقُوۡنَ ﴿۲۸﴾

Holy Quran हमने इस क़ुरआन में लोगों को तरह-तरह की मिसालें दी हैं कि ये होश में आएँ। ऐसा क़ुरआन जो अरबी ज़बान में है, जिसमें कोई टेढ़ नहीं है, ताकि ये बुरे अंजाम से बचें।

(कुरआन 39:27-28)

Holy Quran

کِتٰبٌ فُصِّلَتۡ اٰیٰتُہٗ قُرۡاٰنًا عَرَبِیًّا لِّقَوۡمٍ یَّعۡلَمُوۡنَ ۙ﴿۳﴾

Holy Quran एक ऐसी किताब जिसकी आयतें ख़ूब खोलकर बयान की गई हैं, अरबी ज़बान का क़ुरआन, उन लोगों के लिये जो इल्म रखते हैं,

(कुरआन 41:3)

وَ کَذٰلِکَ اَوۡحَیۡنَاۤ اِلَیۡکَ قُرۡاٰنًا عَرَبِیًّا لِّتُنۡذِرَ اُمَّ الۡقُرٰی وَ مَنۡ حَوۡلَہَا وَ تُنۡذِرَ یَوۡمَ الۡجَمۡعِ لَا رَیۡبَ فِیۡہِ ؕ فَرِیۡقٌ فِی الۡجَنَّۃِ وَ فَرِیۡقٌ فِی السَّعِیۡرِ ﴿۷﴾

Holy Quran हाँ, इसी तरह ऐ नबी! ये अरबी क़ुरआन हमने तुम्हारी तरफ़ वही किया है, ताकि तुम बस्तियों के मरकज़ (मक्का शहर) और उसके आस-पास रहनेवालों को ख़बरदार कर दो और इकट्ठा होने के दिन से डरा दो जिसके आने में कोई शक नहीं। एक गरोह को जन्नत में जाना है और दूसरे गरोह को जहन्नम में।

(कुरआन 42:7)

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وَ مِنۡ قَبۡلِہٖ کِتٰبُ مُوۡسٰۤی اِمَامًا وَّ رَحۡمَۃً ؕ وَ ہٰذَا کِتٰبٌ مُّصَدِّقٌ لِّسَانًا عَرَبِیًّا لِّیُنۡذِرَ الَّذِیۡنَ ظَلَمُوۡا ٭ۖ وَ بُشۡرٰی لِلۡمُحۡسِنِیۡنَ ﴿ۚ۱۲﴾

Holy Quran हालाँकि इससे पहले मूसा की किताब रहनुमा और रहमत बनकर आ चुकी है और ये किताब उसकी तस्दीक़ करनेवाली ज़बान अरबी में आई है, ताकि ज़ालिमों को ख़बरदार कर दे और सही रवैया अपनानेवालों को ख़ुशख़बरी दे दे।

(कुरआन 46:12)

کِتٰبٌ فُصِّلَتۡ اٰیٰتُہٗ قُرۡاٰنًا عَرَبِیًّا لِّقَوۡمٍ یَّعۡلَمُوۡنَ ۙ﴿۳﴾

Holy Quran एक ऐसी किताब जिसकी आयतें ख़ूब खोलकर बयान की गई हैं, अरबी ज़बान का क़ुरआन, उन लोगों के लिये जो इल्म रखते हैं,

(कुरआन 41:3)

Holy Quran इस आयत से बहुत सी बातें कह दी गई है:

Holy Quran

(वल्लाहो आलम -और अल्लाह बेहतर जानने वाला है)

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