ग़ुस्ल क्या है : हदीस ए पाक में है हमारे नबी ए करीम सल्लाहु अलैहि वसलम ने फ़रमाया है की हर मुस्लमान बन्दों पर ग़ुस्ल फ़र्ज़ है ग़ुस्ल करने से बंदा पाकी हासिल करता है ग़ुस्ल ना पाक होने पर किया जाता है ना पाकी भी कई तरह की होती है
एक गंदगी वो होती है जो बंदा काम की वजह से हो जाता है या फिर गर्मी में पसीने की हालत में हो उसमे भी ग़ुस्ल किया जाता है पर ग़ुस्ल भी दो तरह के है एक ग़ुस्ल वो है जो हम रोज़ करते है और एक ग़ुस्ल वो होता है जो हम जनाबत , हैज़ , या निफ़ास के दौरान करते है ये ग़ुस्ल खास होता है और इस ग़ुस्ल करने का तरीका अलग होता है इस ग़ुस्ल को बहुत ही ध्यान से और हर तरीके को अपना कर किया जाता है
ग़ुस्ल क्या है : ग़ुस्ल किस किस पर वाजिब है
हदीस ए पाक में है ग़ुस्ल हर मुस्लमान बन्दों पर फ़र्ज़ है चाहे वो मर्द , औरत , बच्चे या बूढ़ा हो सब पर ग़ुस्ल वाजिब है इस्लाम में 12 साल के बच्चे हो जाये तो उन पर भी ग़ुस्ल वाजिब हो जाता है क्योकि इस्लाम में 12 साल का बच्चा बालिग है इसलिए 12 साल के बाद के सभी बच्चो पर ग़ुस्ल फ़र्ज़ है और एक ग़ुस्ल मरने के बाद भी करवाया जाता है इस ग़ुस्ल का तरीका अलग होता है ये ग़ुस्ल मुर्दों पर वाजिब होता है
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ग़ुस्ल क्या है : ग़ुस्ल कब फ़र्ज़ है
1 . जनाबत (Janabat) : शोहर और बीवी के हमबिस्तरी करने बाद उन दोनों पर ग़ुस्ल फ़र्ज़ हो जाता है ।ये कोई भी काम बिना ग़ुस्ल के नहीं कर सकते और ग़ुस्ल करने के बाद ही कोई भी इबादत करी जा सकती है जनाबत दूर करने के लिए गुस्ल करना जरूरी है।
2 . हैज़ (Haiz) और निफ़ास (Nifas) : हैज़ खत्म होने के बाद और बच्चे के पैदा होने के बाद होने वाले खून रक्त (postpartum bleeding) बंद होने के बाद औरतों को गुस्ल करना फ़र्ज़ है। ग़ुस्ल करने के बाद ही हैज़ या निफ़ास से पाकी हासिल कर सकती है
3 . जिन पर गुस्ल फर्ज़ है उन सब पर अज़ान का जवाब देना जाइज़ है
ग़ुस्ल क्या है : ग़ुस्ल कब सुन्नत है
1 . जुमे की नमाज़ (Jummah ki Namaz) : हदीस ए पाक मे है की हमारे नबी ए करीम सल्लाहु अलैहि वसल्लम जुमे के दिन जुमे की नमाज़ से पहले गुस्ल करके जाते थे , इस लिए जुम्मे के दिन हर मुसलमानों पर गुस्ल सुन्नत है ओर इस दिन सभी मर्द , औरत ,बच्चे गुस्ल करके जुम्मे की नमाज़ अदा करते है।
2 . इहराम में दाखिल होने से पहले (Ihram mein dakhil hone se pehle) : हज या उमराह पर जाने वाले मर्द या औरत को गुस्ल करना सुन्नत है और इहराम में दाखिल होने से पहले भी गुस्ल किया जाता है।
3 . ईद उल फ़ित्र , बकरा ईद , आरफा के दिन [ यानि 9 जुलहिजजा , और एहराम बांधते वक़्त नहाना सुन्नत है
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ग़ुस्ल क्या है : गुस्ल कब माना जाएगा
1 . अगर औरत या मर्द के बाल गंदे नहीं है ओर वो बगैर सर धोए गुस्ल करते है तो गुस्ल हो जाएगा ।
2 . अगर कोई बहते पानी यानि दरिया या नहर मे गुस्ल किया तो थोड़ी देर उसमे रुकने से तीन बार धोने , तरतीब और वुजू ये सब सुन्नते अदा हो गई
3 . पकाने वाले के नाखून मे आटा , और लिखने वाले के नाखून मे सियाही का जिर्म , आम लोगों के लिए मक्खी मच्छर की बिट लगी हुई रह और तवज्जो न रहा तो गुस्ल और नमाज़ पढ़ ली तो वो हो जाएगी
ग़ुस्ल क्या है : गुस्ल कब नहीं माना नहीं जाएगा
1 . अगर मर्द के बाल गंधे है तो उसे सर समेत गुस्ल करना फर्ज होगा
2 . औरत के बाल गंधे है तो उसे सर समेत गुस्ल करना है और बाल गंधे नहीं है तो सिर्फ बालों की जड़ तर कर लेना जरूरी है खोलना जरूरी नहीं हाँ अगर चोटी इतनी सख्त गुँधी हुई है की खोले बगैर जड़े तर न होगी तो खोलना जरूरी है
3 . पकाने वालों की हाथ पर आटा और लिखने वालों के हाथ पर सियाही का जिर्म , आम लोगों के लिए मक्खी मच्छर की बिट लगी हुई है और उस पर तवज्जो न रहा तो गुस्ल हो जाएगा अगर मालूम हो जाने के बाद जुदा करना और उस जगह का धोना जरूरी है वरना गुस्ल नहीं होगा
4 . अगर नाखून पर नेल पॉलिस लगी हुई हो तो उसका छुड़ाना फर्ज है वरना गुस्ल नहीं होगा
ग़ुस्ल क्या है : गुस्ल के कितने फराईज़ है और क्या है
ग़ुस्ल क्या है : गुस्ल के तीन फराइज़ है
1 . कुल्ली करना
2 . नाक मे पानी चढ़ाना
3 . तमाम जाहिरी बदन पर पानी बहाना
ग़ुस्ल क्या है : गुस्ल करने का तरीका
गुस्ल करने से पहले अपने बदन का नीचे का आधा हिस्सा धोया जाता है उस हिस्से को पूरी अच्छी तरह से धोए ताकि कोई भी ज़र्रा बराबर भी बदन का कोई हिस्सा ना रह जाए फिर अपने हाथ कोहनियों समेत धोए ; फिर आधा वुजू करे ; 3 बार हाथ धोए , फिर 3 बार कुल्ली करे , फिर 3 बार नाक मे पानी चड़ाये , उसके बाद अपना सर धोए और पूरी अच्छी तरह सर धोए ताकि कोई भी सर का बाल सूखा न रह जाए फिर उस तरह नहाए जेसे रोज नहाया जाता है
फिर पूरी तरह नहाने के बाद अपने दिल मे पाकी की नियत करके सर से लेके पूरे बदन पर 3 मर्तबा पानी बहाए ये तरीका 3 , 5 , या 7 मर्तबा किया जाता है 3 मरतबा सर से पानी बहाए , फिर 2 मर्तबा दोनों कंधों से , फिर 2 मर्तबा पैरों के गुटनों से , इस तरह पूरे बदन पर पानी बहाए ताकि बदन का कोई भी ज़र्रा बराबर सूखा ना रह जाए अगर ऐसा हुआ तो दुबारा गुस्ल करना होगा
फिर उसके बाद वुजू करना वाजिब है वुजू करने के बाद ही गुस्ल मुकम्मल माना जाता जाता है गुस्ल के दोरान किया गया वुजू से कोई भी इबादत करी जा सकती है ये गुस्ल करना जनाबत , हैज़ ,या निफस से पाकी हासिल करने पर किया जाता है
वुजू
ग़ुस्ल क्या है : वुजू क्या है
हदीस ए पाक मे है वुजू को नमाज़ अदा करने से पहले किया जाता है वुजू सिर्फ नमाज़ के लिए ही नहीं बल्कि कुरान की तिलवात , जबानी कोई भी तिलवात , फातिहा लगाना इन सब इबादत को करने से पहले वुजू करना लाज़िम है जबानी कोई भी तिलवात के लिए वुजू करना जरूरी नहीं है पर अगर वुजू की हालत मे कोई भी इबादत करी जाए तो ज्यादा मुस्तहब है
वुजू इसलिए किया जाता है ताकि हमारे बदन की ना पाकी को पाक किया जाए वुजू करने से सिर्फ बदन ही नहीं बल्कि रूह भी पाक होती है वुजू करने से पहले दिल मे नियत साफ और पाकी की करनी होती है तभी हमारी इबादत के लिए हर चीज कुबूल की जाती है
ग़ुस्ल क्या है : वुज़ू से क्या होता है
हमारे नबी ऐ करीम सल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते है ;जो बंदा कामिल वुज़ू करता है उसके अगले पिछले सभी गुनाह माफ़ कर दिए जाते है और वुजू करने से चेहरा खूबसूरत होता है चाहे कोई भी मर्द या औरत हो पाँच टाइम वुजू करने से चेहरे पर केसे भी निशान हो सब को साफ करके चेहरा खूबसूरत करता है
ग़ुस्ल क्या है : वुज़ू करते वक़्त क्या करे
वुज़ू करते वक़्त हर चीज़ का धयान देना ज़रूरी होता हैं क्योकि वुज़ू सही ना हुआ तो नमाज़ मुकम्मल नहीं और वुज़ू करते वक़्त कोई बंदा अपने बदन के किसी हिस्से को धोने से रह गया तो उसे इस सूरत में बाया पाऊ[यानि लेफ्ट पैर धो लिया जाये तो उससे वुज़ू मुकम्मल माना जाता हैं बेसिन पर खड़े होकर वुज़ू करना ख़िलाफ़े मुस्तहब हैं
ग़ुस्ल क्या है : वुजू कब नहीं टूटेगा
1 . खोफ़े खुद और हमारे मुस्तफा दोनों के इश्क में या वैसे ही आँखों से आँशु निकले तो वुजू नहीं टूटेगा
2 . गोश्त मे इन्जेक्शन लगाने से वुजू नहीं टूटेगा
3 . हाथ वगैरा से खून निकला लेकिन बहा नहीं तो ये वुजू को नहीं तोड़ेगा
4 . शीसा देखने से
5 . खाने पीने से
6 . मर्द बाहर जाए या किसी भी गैर महरम को देखले उसका वुजू नहीं टूटेगा
ग़ुस्ल क्या है : वुजू कब टूटेगा
1 . बैतूलखुला जाने से
2 . `ग्लूकोस वगैरा की ड्रिप न्यास मे लगवाने से वुजू टूट जाएगा क्यूंकि बहेने की मिक़दार मे खून निकल कर नल की मे आ जाता है
3 . आँख की बीमारी के सबब जो आँसू बाह्य वो नापाक है और वुजू भी तोड़ देगा
4 . नस का इन्जेक्शन लगा कर पहले ऊपर की तरफ खून खिकते हैं जी की बहेने की मिक़दार मे होता है लिहाजा वुजू टूट जाता है गोश्त मे भी इन्जेक्शन लगाने पर भी जभी वुजू टूटेगा खून बहने की मिक़दार हुई
5 . औरत के बाहर जाने से भी उसका वुजू टूट जाता है
6 . औरत अगर किसी भी गैर महरम को देखले तब भी वुजू टूट जाएगा
7 .किसी उजज़्ए [ पार्ट ] को धोने के यह माना हैं की उस उजज़्ए के हर हिस्से पर कम से कम 2 कतरे पानी बह जाना , सिर्फ भीग जाने या पानी को तेल की तरह चूपड़ लेने या एक कटरा बह जाने को धोना नहीं कहेंगे और न इस तरह वुजू होगा
ग़ुस्ल क्या है : वुजू करने के बाद क्या पढे
हदीस ए पाक मे हैं जिसने अच्छी तरह वुजू किया और कलम ए शहादत पढ़ उसके लिए जन्नत के आठों [ 8 ] दरवाजे खोल दिए जाते हैं जिससे चाहे अंदर दाखिल हो और जो वुजू के बाद आसमान की तरफ देख कर [ 1 मर्तबा सूरह इन्ना अंजलना हु ] पढ़ लिया करे इन शा अल्लाह उस की नजर कमजोर न होगी
और जो वुजू के बाद 1 मर्तबा सूरह ए कदर पढे तो वो सिद्दईकिन में से है और जो 2 मर्तबा पढे तो शुहदा मे शुमार किया जाए और जो 3 मर्तबा पढ़ेगा तो अल्लाह मैदान ए महशर मे उसे अपने अंबियाँ के साथ रखेगा
ग़ुस्ल क्या है : वुज़ू कब फ़र्ज़ है
हम पर वुज़ू फ़र्ज़ है ;
1 . नमाज़
2 . सजदा ऐ तिलावत
3 . कुरान ऐ अज़ीम छूने के लिए वुज़ू करना फ़र्ज़ है
ग़ुस्ल क्या है : वुज़ू कब वाज़िब है
हम पर वुज़ू वाज़िब तवाफ़े बैतुल्लाह शरीफ के लिए वुज़ू करना वाज़िब हो जाता है
ग़ुस्ल क्या है : वुज़ू करना कब सुन्नत है
1 . ग़ुस्ल जनाबत से पहले
2 . जनाबत से नापाक होने वाली को खाने पिने और सोने के लिए
3 . हुज़ूर नबी ऐ करीम की रोज़ ऐ मुबारक की ज़ियारत
4 . वुक़ूफ़े अरफ़ा
5 . साफा व मारवाह के दरमियान साए के लिए वुज़ू करना सुन्नत है
ग़ुस्ल क्या है : वुज़ू कब मुस्तहब हैं
1 . वुज़ू हम पर सोने के लिए
2 . नींद से बेदार होने पर
3 . गुस्सा आ जाये उस वक्त
4 . ज़बानी क़ुरान ऐ अज़ीम पढ़ने के लिए
5 . दीनी क़ुतुब छूने के लिए वुज़ू करना मुस्तहब हो जाता हैं
6 . जिम अ से पहले
ग़ुस्ल क्या है : वुजू करने का तरीका
1 . तीन मर्तबा हाथ धोना
2 . तीन मर्तबा कुल्ली करना
3 . तीन मर्तबा नाक मे पानी चढ़ाना
4 . तीन मर्तबा मुह धोना
5 . तीन मर्तबा कोहनियों समेत हाथ धोना
6 . सर का मसहा करना
7 . तीन मर्तबा पैर धोना
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