पांच वक़्त की नमाज़ : हदीस ऐ पाक में है पांच वक़्त की नमाज़ का वक़्त इसलिए मुकर्रर किया है क्योकि हर मुसलमान बन्दों को कोई परेशानी न हो और हर नमाज़ अपने मुकर्रर वक़्त पर बंदा अता कर सके और उसे अपने रोज़ मर्रा के काम भी सही वक़्त पर हो जाये मुस्लमान बन्दों पर पांच वक़्त की नमाज़ इस तरह फ़र्ज़ करी हैं उसे अपनी पांच वक़्त की नमाज़ अदा करनी ही है
पांच वक़्त की नमाज़ का वक़्त कब शुरू और कब खत्म ;
फज़र
पांच वक़्त की नमाज़ : फज़र की नमाज़ वक़्त शुरू ; सूरज तुलु होने से पहले शुरू होती है और सूरज तुलु होने से पहले पढ़ी जाती हैं इसका वक़्त सूरज तुलु होते ही खत्म हो जाता हैं .
फज़र की नमाज़ का वक़्त होता हैं आसमान पर हल्की हल्की सफेदी छाने लगती और काले बादल हट जाते हैं
फज़र की नमाज़ का वक़्त रत का तीसरा पहर खत्म होते ही शुरू हो जाता हैं
कुछ चिड़ियां (birds) जैसे कि मुर्गी (hen) और गौरैया (sparrow) चहचहाना शुरू कर देती हैं.
तब से फज़र की नमाज़ का वक़्त शुरू हो जाता हैं
फज़र की नमाज़ का वक़्त खत्म ;
फज़र की नमाज़ का वक़्त सूरज तुलु होते ही खत्म हो जाता हैं
सूरज तुलु : जब सूरज तुलु हो जाता हैं .
सूरज आफ़ताब : मशरिक सिम्त में सूरज आफ़ताब हो जाता है
ऊँची इमारतों पर सूरज की रोशनी: ऊँची इमारतों (tall buildings) पर सूरज की रोशनी दिखाई देने लगती है.
सूरज की लाली: मशरिक सिम्त में सूरज लाल रंग का दिखाई देने लगता है.
यह बाते ध्यान रखना ज़रूरी हैं
सूरज तुलु होने का वक्त हर रोज़ बदलता रहता है, इस वजह से फجر की नमाज़ का वक्त भी हर रोज़ थोड़ा बहुत बदल जाता है.
ज़वाल क्या है
पांच वक़्त की नमाज़ : हदीस ऐ पाक में आया है की दिन में नमाज़ पढ़ना मकरूह है वो वक़्त है ज़वाल का जवाल के वक़्त नमाज़ मकरूह हैं इसका वक़्त 12 बजे से शुरू होता है और 32 या 34 मिनट तक ही रहता है ये जवाल का वक़्त ज़ोहर की नमाज़ के कुछ घंटो पहले तक ही रहता हैं इस वक़्त में नमाज़ पढ़ना इसलिए मना है क्योकि सूरज के उरूज के बाद दो दफा आसमान में शदीद चमक हो जाती है और सूरज की रौशनी नीली पढ़ जाती है इस वक़्त को ज़वाल कहते हैं इसके खत्म होते होते ही ज़ोहर की नमाज़ का वक़्त शुरू हो जाता है और नमाज़ का मकरूह वक़्त सिर्फ दिन में है जो जवाल का वक़्त है उसके बाद रात को कोई भी नमाज़ का वक़्त मकरूह नहीं होता है
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ज़ोहर
पांच वक़्त की नमाज़ : ज़ोहर की नमाज़ वक़्त शुरू ;
जोहर की नमाज़ पांच वक़्त की नमाज़ो में से एक नमाज़ है
इसका वक़्त ज़वाल के बाद शुरू होता है
ज़ोहर की नमाज़ के वक़्त जब शुरू होता है जब वक़्त ऐ अव्वाल आता है
तब ज़ोहर की नमाज़ अदा करी जाती है
ज़ोहर की नमाज़ का वक़्त खत्म
ज़ोहर की नमाज़ का वक़्त खत्म होता है i जब असर की नमाज़ का वक़्त शुरू हो जाता है
ज़ोहर की नमाज़ का वक़्त तब खत्म होता है जब सूरज गुरुब होने लगता हैं
असर की नमाज़ शुरू होने से आधा घंटा पहले तक पढ़ी जा सकती है
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असर
पांच वक़्त की नमाज़ : असर की नमाज़ का वक़्त शुरू ;
असर की नमाज़ का वक़्त शुरू होता है जब ज़ोहर की नमाज़ का वक़्त खत्म होता है
सूरज डूबने में थोड़ा सा वक़्त बचता है
इस वक़्त को “असर -ए -सादिक़ ” कहते हैं
असर की नमाज़ का वक़्त शाम तक चलता है , लेकिन इसका सही वक़्त रोज़ -रोज़ बदलता है
शाम के आग़ाज़ से पहले असर की नमाज़ अदा कना ज़रूरी है .
असर की नमाज़ का वक़्त खत्म
असर की नमाज़ का वक़्त सूरज ग़ुरूब होने पर खत्म हो जाता है
इसका वक़्त भी दिन के हिसाब से बदलता रहता है
सूरज के चलने और ग़ुरूब होने के साथ असर की नमाज़ का वक़्त करीबी मस्जिद या इस्लामिक केलिन्डर से मालूम किया जा सकता है
असर की नमाज़ का वक़्त खत्म होता है जब सूरज ग़ुरूब हो जाता है और रात का आग़ाज़ हो जाता है
Table of Contents
मगरिब
पांच वक़्त की नमाज़ : मगरिब की नमाज़ का वक़्त शुरू ;
मग़रिब की नमाज़ का वक़्त अहमर शفق (Ahmar Shfaq) के खत्म होने के बाद होता है.
मग़रिब की नमाज़ का वक़्त सूरज डूबने के बाद शुरू होता है
मगरिब का नमाज़ का वक़्त तक़रीबन एक घंटे तक रहता है
इस्लामिक और मुस्लिम मौलाना या मुफ़्ती का कहना है की अहमर शفق के पूरी तरह खत्म होने का इंतज़ार किया जाए.उसके बाद मगरिब की नमाज़ अदा की जाये मगरिब की नमाज़ वक़्त रहते ही पढ़ लेनी चाहिए
मग़रिब की नमाज़ का वक़्त खत्म ;
मग़रिब की नमाज़ का वक्त सूरज ग़ुरूब (sunset) के बाद खत्म होता है, लेकिन सूरज ग़ुरूब के ठीक बाद नहीं, बल्कि एक खास निशानी के बाद। इसे शفق (Shfaq) कहा जाता है,
शफ़क़ (Shfaq): यह मगरिब की तरफ सूरज ए आफ़ताब पर दिखाई देने वाली लालिमा (reddish hue) होती है. शफ़क़ किस्म दो के है
अहमर शफ़क़ (Ahmar Shfaq): गहरी लाल (deep red) या नारंगी (orange) रंग की रोशनी.
अबयाद शफ़क़ (Abyad Shfaq): सफेद (white) रोशनी जो लालिमा के बाद आती है
सूरज ग़ुरूब होने का वक्त हर रोज बदलता रहता है, इस वजह से Maghrib की नमाज़ का खत्म होने का वक्त भी हर रोज़ थोड़ा बहुत बदल जाता है.
ईशा
पांच वक़्त की नमाज़ : ईशा की नमाज़ का वक़्त शुरू ;
ईशा की नमाज़ का वक़्त पूरी तरह सूरज ग़ुरूब हो जाने के बाद शुरू होता है
ईशा की नमाज़ का वक़्त 11 बजे तक ही होता है
इसे पढ़ने का सबसे فضل वाला वक्त रात के आखिरी हिस्से से पहले ही रहता है
रात के आखिरी हिस्से से पहले हिस्से को सहर का वक्त भी कहा जाता है.
इस सहर के वक़्त पर ईशा की नमाज़ अदा करली जाती है
ईशा की नमाज़ का वक़्त खत्म
ईशा की नमाज़ का वक़्त 12 बजे से पहले खत्म हो जाता है
ईशा की नमाज़ आदी रात से पहले पढ़ी जाती है
ईशा की नमाज़ का आधी रात पर खत्म हो जाता है
ईशा की नमाज़ के बाद आधी रात के पहर से तहज्जुद का वक़्त शुरू हो जाता है
- इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से इस्लामिक दिन और तारीखे बदलती रहती है इस वजह से नमाज़ो का वक़्त भी तब्दील होता है