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कुरान का सतरहवा पारा क्या कहता है इस पारे में दो हिस्से हैं : 1- सूरह अम्बिया और 2- सूरह हज

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कुरान का सतरहवा पारा यह कहता है की इस पारे में दो हिस्से हैं पहला हिस्सा है 1- सूरह अम्बिया और दूसरा हिस्सा है 2- सूरह हज और इन सबका तस्करा आगे है 1- सूरह अम्बिया में तीन बातें यह हैं : पहली है 1 कयामत , दूसरी है 2 रेसालत और तीसरी है 3 तौहीद और 2- सूरह हज में 6 बातें हैं पहली बात 1 कयामत दूसरी बात 2 तखलीके इंसान के सात मराहिल त्तीसरी बात 3 मलल और मज़ाहिब के लेहाज़ से छह गिरोह चौथी बात 4 हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम का ऐलाने हज पांचवी बात 5 मोमेनीन की चार अलामात और छठी बात 6 दीगर अहकामात

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कयामत कब आएगी

कयामत कब आएगी, यह निश्चित रूप से कोई नहीं जानता। कुरान और हदीसों में कयामत के कई संकेत बताए गए हैं, लेकिन इन संकेतों का कोई निश्चित क्रम नहीं है और इनके बारे में अलग-अलग मतभेद भी हैं।

कुछ लोगों का मानना ​​है कि कयामत बहुत जल्द आएगी, जबकि अन्य का मानना ​​है कि इसमें अभी बहुत समय है। कयामत के बारे में अल्लाह ने ही सबसे अच्छी जानकारी रखी है और वह ही जानता है कि यह कब आएगी।

हमें कयामत के बारे में चिंता करने के बजाय, हमें अपने जीवन को अच्छे कामों से भरने पर ध्यान देना चाहिए। हमें हमेशा अल्लाह की इबादत करनी चाहिए और उसकी आज्ञाओं का पालन करना चाहिए।

यहां कयामत के कुछ संकेत दिए गए हैं:

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये केवल कुछ संकेत हैं और इनके अलावा भी कई अन्य संकेत हो सकते हैं। हमें इन संकेतों को लेकर डरने या घबराने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि हमें इनसे सबक लेना चाहिए और अपने जीवन को अच्छे कामों से भरने पर ध्यान देना चाहिए।

holy quran 17 para al-isra

al-isra holy quran ka 17 para hai. ismein 111 aayaten hain aur yah makka mein nazil hua tha. para ka naam al-isra hai, jiska arth hai “रात की यात्रा”. yah naam para ki pahli ayat se liya gaya hai, jo bani israel ki raat ki yatra ka zikr karti hai.

para mein kai mahatvpurn vishayon ko sambodhit kiya gaya hai, jinmen shamil hain:

para ki shuruaat allah ki ekta ki ghoshna ke sath hoti hai. yah paigambaron ki risalat ki bhi tasdeek karta hai aur qayamat ke din ki चेतावनी देता है. para mein aakhirat ke jivan ke bare mein bhi jankari di gai hai, jahan nek logon ko puraskrit kiya jaega aur bure logon ko dandit kiya jaega.

para mein nekbati aur burai ke bare mein bhi margdarshan diya gaya hai. musalmanon ko nek kam karne aur bure kamon se bachne ki himayat ki jaati hai. para mein naitik aur samajik margdarshan bhi diya gaya hai, jismein musalmanon ko imandar, nyaypurn aur dayalu hone ke liye kaha gaya hai.

al-isra holy quran ka ek mahatvpurn para hai. yah kai mahatvpurn vishayon ko sambodhit karta hai aur musalmanon ke liye margdarshan ka ek mahatvpurn strot hai.

yahan para ki kuchh pramukh aayaten di gai hain:

पवित्र कुरान का 17वां पैरा “अल-इsरा” के नाम से जाना जाता है। इसमें कुल 111 आयतें हैं और यह पैरा मक्का में अवतरित हुआ था। पैरा का नाम “अल-इsरा” यानि “रात्रिक यात्रा” पैरा की पहली आयत से लिया गया है, जो हजरत इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) की रात्रिक यात्रा का वर्णन करती है।

यह पैरा कई महत्वपूर्ण विषयों को समेटे हुए है, जिनमें शामिल हैं:

पैरा की शुरुआत अल्लाह की एकता की घोषणा के साथ होती है। इसके बाद पैरा पैगंबरों के संदेश की पुष्टि करता है और कयामत के दिन की चेतावनी देता है। पैरा में परलोक के जीवन के बारे में भी जानकारी दी गई है, जहां अच्छे कर्म करने वालों को पुरस्कृत किया जाएगा और बुरे कर्म करने वालों को दंडित किया जाएगा।

यह पैरा अच्छे और बुरे कर्मों के बारे में भी मार्गदर्शन प्रदान करता है। मुसलमानों को अच्छे कर्म करने और बुरे कर्मों से बचने का आदेश दिया गया है। पैरा नैतिक और सामाजिक मार्गदर्शन भी देता है, जिसमें ईमानदार, न्यायप्रिय और दयालु बनने के लिए कहा गया है।

अल-इsरा कुरान का एक महत्वपूर्ण पैरा है। यह कई महत्वपूर्ण विषयों को संबोधित करता है और मुसलमानों के लिए मार्गदर्शन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

यहाँ पैरा की कुछ प्रमुख आयतें दी गई हैं:

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